6 जनवरी 2022, को स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के गणित विभाग एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, दिल्ली प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में ‘वैदिक गणित’ पर पाँच दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का उदघाटन किया गया। इस कार्यशाला में 155 से अधिक छात्रों और शिक्षकों ने प्रतिभागियों के रूप में पंजीकरण कराया।
कॉलेज प्राचार्य प्रो. प्रवीण गर्ग ने कहा कि ‘वैदिक गणित’ भारतीय इतिहास का सबसे प्राचीन गणित है यह छात्रों के मानसिक विकास के साथ – साथ व्यावहारिक ज्ञान की भी वृद्धि करेगा। मुख्य अतिथि डीन ऑफ कॉलेजेस प्रो. बलराम पाणि जी ने वैदिक काल से चले आ रहे गणित को आज भी उतना ही प्रासंगिक माना जितना प्राचीन काल में था। उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से आधुनिक भारत में ज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति होगी। वर्तमान में एनआईआईटी, प्रयागराज, जलवायु परिवर्तन और मौसम की भविष्यवाणी के अध्ययन के लिए वैदिक गणित पर आधारित गणनाओं का प्रयोग कर रहा है। वैदिक गणित आयाम के प्रांत संयोजक श्री अनिल कुमार ठाकुर जी ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के महत्वपूर्ण आयामों की चर्चा की और कार्यक्रम को छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए उपयोगी बताया । उन्होंने कहा कि वैदिक गणित किसी भी समस्या को हल करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। श्री राकेश भाटिया जी ने वैदिक गणित के सन्दर्भ में माननीय प्रधान मंत्री जी के दृष्टिकोण और विचारों को वीडियो के माध्यम से रोचक ढंग से साझा किया। उन्होंने छात्रों से वैदिक गणित सीखने के महत्व पर जोर दिया। सत्र के मुख्य अध्यक्ष डॉ कैलाश विश्वकर्मा जी ने रोचक तरीके से छात्रों के सामने वैदिक गणित के कुछ सूत्र साँझा किये। कार्यशाला के पहले सत्र में डॉ. श्री राम चौथाई वाले ने वैदिक गणित में गुणन को सरल बनाने के लिए विभिन्न सूत्रों का बड़ी ही सरलता और स्पष्टता से उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया । यह कार्यशाला छात्रों एवं शिक्षकों के लिये लाभदायक सिद्ध होगी।