Urdhva Triyagbhyam Vertically and Crosswise ( ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् )
पूरी के 143वें जगद्गुरु स्वामी भारतीकृष्णतीर्थ जी महाराज द्वारा रचित वैदिक गणित के 16 सूत्र तथा 13 उपसूत्र (16 Sutras and 13 Up-Sutras) में सभी के सभी सूत्र विलक्षणता से भरे हैं परन्तु सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् अत्यंत ही व्यापक, बहुउपयोगी तथा बहुआयामी है जिसका अर्थ जितना सामान्य तथा सरल है उसका अनुप्रयोग उतना ही व्यापक है। इस सूत्र की विशेषता है कि यह संपूर्ण गणित को समाहित कर सकने में सक्षम है इस सूत्र के प्रयोग से अंकगणित (Arithmetic) , बीजगणित (Algebra) , ज्यामिति (Geometry) , त्रिकोणमिति (Trigonometry), कलन (Calculus) इत्यादि के साथ–साथ संगणक (computer) तथा परिगणक (calculator) के प्रश्नों का भी हल होता है।
तृतीय सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् (Third Sutra Urdhva Triyagbhyam ,Vertically and Crosswise)
संस्कृत भाषा के इस सूत्र हिंदी में अर्थ होता है — “सीधे ( खड़े) और तिरछे दोनों प्रकार से” ( Vertically & Crosswise )
ऊर्ध्व = सीधा ( खड़ा) = | ( उपर-नीचे)
तिर्यक् = तिरछा = X
जिसका प्रयोग गणित के विभिन्न संक्रियाओं में किया जाता है।
अंकगणित (Arithmetic)
अंकगणित में इस सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् का प्रयोग संकलन (Addition), व्यवकलन (subtraction), गुणन (Multiplication), विभाजन (Division), वर्ग (Square), वर्गमूल (Square root), घन (cube), घनमूल (cube root) इत्यादि अनेक संक्रियाओं में प्रयोग किया जाता है। किसी भी परिस्थितियों की दो या दो से अधिक संख्याओं को गुणा किया जा सकता है जैसे —
23 × 54, 123 × 211
उदाहरण — (1)
25 × 54
हल –
2 3
× 5 4
– – – – – – – – – – – – –
12 / 4 / 2
(1) प्रथम स्तंभ का ऊर्ध्व गुणा
3
× 4
– – – – – – –
12
(2) प्रथम तथा द्वितीय स्तंभ का तिर्यक् गुणा करके प्राप्त गुणन फल का योग
2 3
× 5 4
– – – – – – – – – – – – – – –
( 2 × 4) + ( 3 × 5)
= 8 + 15
= 23
23 + अतिरिक्त अंक
23 + 1 = 24
(3) द्वितीय स्तंभ का ऊर्ध्व गुणा
2
× 5
– – – – – – – – –
10
10 + अतिरिक्त अंक
10 + 2 = 12
अंतिम बायें खण्ड में 12 पूरा का पूरा लिख दें।
अतः उत्तर = 1242
उदाहरण — (2)
123 × 211
हल —
1 2 3
× 2 1 1
– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
2 / 5 / 9 / 5 / 3
(1) प्रथम स्तंभ का ऊर्ध्व गुणा
3
× 1
– – – – – – – – – –
3
(2) प्रथम तथा द्वितीय स्तंभ का तिर्यक् गुणा करके प्राप्त गुणन फल का योग
2 3
× 1 1
– – – – – – – – – – – – – – –
( 2 × 1 ) + ( 3 × 1 )
= 2 + 3 = 5
(3) प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्तंभों में बाहर-बाहर के स्तंभों का तिर्यक् गुणा तथा मध्य स्तंभ का ऊर्ध्व गुणा कर, प्राप्त गुणनफलों का योग।
1 2 3
× 2 1 1
– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
( 1 × 1) + ( 2 × 3) + ( 2 × 1)
= 1 + 6 + 2 = 9
(4) दायें से द्वितीय तथा तृतीय स्तंभों तिर्यक् गुणा करके प्राप्त गुणनफल का योग प्राप्त करें।
1 2
× 2 1
– – – – – – – – – – – – – – –
( 1 × 1 ) + ( 2 × 2 )
= 1 + 4 = 5
(5) दायें से तृतीय स्तंभ का ऊर्ध्व गुणा
1
× 2
– – – – – – – – – –
2
अतः उत्तर = 2 5 9 5 3
बीजगणित (Algebra)
बीजगणित में संकलन (Addiction) व्यवकलन (Subtraction), गुणन (Multiplication), विभाजन (Division), गुणन खण्डन (Factorisation) , समिश्र संख्या (Complex Number) आंशिक भिन्न (Partial Fraction) इत्यादि में इसके व्यापक प्रयोग देखे जाते हैं।
बीजगणितीय गुणन (Algebraic Multiplication)
उदाहरण — (3)
(2p + 3) ( 3p + 5)
हल —
2p + 3
× 3p + 5
– – – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –
(2p ×3p) + {( 2p ×5) + ( 3p × 3)} + ( 3 × 5)
= 6p² + {10p + 9p} + 15
= 6p² + 19p + 150 ( Ans)
ज्यामिति (Geometry)
ज्यामिति में रेखाओं की माप (Measurement of Line), रेखाओं के समीकरण (Equation of Line), दो रेखाओं के बीच का कोण (Angle between two Lines), वृत (Circle), अंडवृत (Ellipse), परवलय (Parabola) इत्यादि में इसके प्रयोग होता है —
उदाहरण – (4)
उस रेखा का समीकरण ज्ञात किजिये जो बिन्दु P (3, 3) तथा Q (7, 6) से होकर गुजरती है।
हल :-
बिन्दु Y का गुणांक X का गुणांक अचर
P 3 3
Q 7 6
PQ (7 – 3) (6 – 3) (7×3 – 3×6)
4 3 3
अतः रेखा का समीकरण 4Y = 3X + 3 होगा।
त्रिकोणमिति (Trigonometry)
त्रिकोणमिति में समकोण त्रिभुज के भुजाओं को ज्ञात करना, समकोण त्रिभुज के भुजाओं का अनुपात – ज्या (Sin), कोज्या (Cos), स्पर्श ज्या (Tan) इत्यादि ज्ञात करना, त्रिकोणमितीय सर्वसमीका (Trigonometric Identities), त्रिकोणमितीय फलन (Trigonometric Functions), प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन (Inverse Trigonometric Function) इत्यादि में इसका प्रयोग देखा जा सकता है —
उदाहरण – (5)
कोण A तथा B की बौद्धायन संख्याएँ क्रमशः [ 4 3 5 ] [ 12 5 13 ] है। तो कोण (A + B) तथा (A – B) की बौद्धायन संख्या ज्ञात किजिये।
हल :-
कोण भुज कोटि कर्ण
A 4 3 5
B 12 5 13
A+B = (12×4 – 5×3) (12×3+5×4) 13×5
33 56 65
A-B = (12×4 +5×3) (12×3 – 5×4) 13×5
63 16 65
(A + B) = [ 33 56 65 ]
(A – B) = [ 63 16 65 ]
कलन (Calculus)
कलन में सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् का का प्रयोग अद्भुत है आंशिक भिन्न (Partial Fraction) के प्रयोग से समाकलन (Integration) ज्ञात करना, Integration by Parts इत्यादि में इसका प्रयोग देखने को मिलता है —
उदाहरण – (6)
Int. of ( x⁴. cos x) dx
Diff. – x⁴ 4x³ 12x² 24x 24
Int. – cos x sin x – cos x – sin x cos x
+ – + –
Integration of ( x⁴. cos x) dx
= x⁴ sin x + 4x³ cos x – 12x² sin x – 24x cos x + 24 sin x + C
उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि तृतीय सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् (Third Sutra Urdhva Triyagbhydam ,Vertically an Crosswise) अत्यंत व्यापक तथा अद्भुत है जो अपने आप में गणित को समाहित कर सकने में सक्षम है ।
शतरंज के खेल में जितना महत्व 16 मोहरों में वजीर या रानी का होता है उसी तरह वैदिक गणित 16 सूत्रों में ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् का है जहाँ एक तरफ वजीर या रानी शतरंज के विशात पर सीधा तथा तिरछा दोनों तरह के चलने में सक्षम है उसी तरह वैदिक गणित 16 सूत्रों में ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् सीधा तथा तिरछा दोनों क्रिया करने में सक्षम है —इस विलक्षणता के आधार पर इस सूत्र को “सूत्रों की रानी (Queen of All Sutras)” कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा।
मानस-गणित (Manas Ganit) का प्रयास है कि कठिन से कठिन विषय को सरल तथा रोचक बना कर प्रस्तुत किया जा सके जो वैदिक गणित प्रेमियों तथा जिज्ञासुओं के ज्ञानवर्धन में सहायक हो।
तृतीय सूत्र ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् (Third Sutra Urdhva Triyagbhyam ,Vertically and Crosswise)
http://www.manasganit.com/Post/details/63-urdhva-triyagbhyam-vertically-and-crosswis