Multiplication by Roop Vibhag Sthan Vibhag

गुणन रुप विभाग, स्थान विभाग
Multiplication by Roop Vibhag
Sthan Vibhag

प्राचीन भारतीय गणितज्ञ नारायण पंडित द्वारा रचित ग्रंथ "गणित कौमुदी" में गुणन करने की कई विधियों
का वर्णन है :-
(1) कपाट-संधी
(2) तस्थ
(3) रुप विभाग
(4) स्थान विभाग

उदाहरण
पञ्चामहीधरनयनप्रमिता धृतिमगुणाः कति ते स्युः।
रूपस्थानविभागखण्डे विगुणजं तथाऽपवर्तनजम्।।
अर्थात् :-
पञ्च = 5
महीधर = 7
नयन = 2

अंकानाम वामनोगति
अर्थात 275
धृति = 18
से गुणा करना है
गुणखण्डैर्वा गुण्यो रुपविभागह्रतो युतिस्तु फलम् ।
स्थानविभागैर्गुणितः स्वस्थानयुतः फलं वाऽपि ।।

विधि :- 1
रुप विभाग
275 × 18
18 का रुप विभाग खंड = 11 + 7
=  275 × ( 10 + 8)
= 275 × 10 + 275 × 8
= 2750 + 2200
= 4950

विधि :- 1
स्थान विभाग
275 × 18
18 का स्थान विभाग खंड 1 तथा 8
= 275 × 1 = 275
तथा 275 × 8 = 2200
=    275
+2200
——————
= 4950
अभ्यास
(1) 286 × 45
(2) 865 × 36
(3) 654 × 125
(4) 874 × 52
(5) 786 × 175
गुणन रुप विभाग, स्थान विभाग Multiplication Roop Vibhag Sthan Vibhag
http://www.manasganit.com/Post/details/54–multiplication-roop-vibhag-sthan-vibhag

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