Multiplication by Kapat Sandhi Method Gelosia

Multiplication by Kapata Sandhi Method Gelosia (कपाट संधी के द्वारा गुणन) 

।। कपाट संधी के द्वारा गुणन  Multiplication by Kapata Sandhi  Method Gelosia ।।

श्रीधराचार्य (जन्म : ७५० ई) प्राचीन भारत के एक महान गणितज्ञ थे। इन्होंने शून्य की व्याख्या की तथा द्विघात समीकरण को हल करने सम्बन्धी सूत्र का प्रतिपादन किया।उनके बारे में हमारी जानकारी बहुत ही अल्प है। उनके समय और स्थान के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। किन्तु ऐसा अनुमान है कि उनका जीवनकाल ८७० ई से ९३० ई के बीच था; वे वर्तमान हुगली जिले में उत्पन्न हुए थे; उनके पिताजी का नाम बलदेवाचार्य औरा माताजी का नाम अच्चोका था।

अंकगणित में चार प्रकार की गुणन प्रक्रिया का रचना आपके द्वारा किया गया है —
(क) कपाट-संधि
(
ख) तस्थ
(
ग) रूप विभाग
(
घ) स्थान विभाग

प्रस्तुत लेख में हम सिर्फ कपाट-संधि की ऐतिहासिक यात्रा की चर्चा करेंगे। सर्वप्रथम कपाट-संधि के माध्यम से गुणन करने की प्रक्रिया अरब वासियों ने हम भारतीयों से सीखा,
सन् 825 ई. में अल-ख्वारिज़मी,
सन् 1025 ई. अल-नसावी ने इसे भारतीय पद्धति ( अल-अमल अल-हिन्दी या तारीक अल-हिन्द ) का नाम दिया,
सन् 1175 ई. में अल-हश्ज़ार तथा अल-कालासदी ने इस गुणन विधि को सीखा।
अरब में यह गुणन प्रक्रिया “शबख” के नाम से प्रचलित हुआ जिसका शाब्दिक अर्थ है धातु की जाली।
सन् 13 वीं शताब्दी में यूनान के धर्म प्रचारक मैक्सिमस प्लेन्यूड्स ने इस गुणन प्रक्रिया को यूरोप तक पहुँचाया।
14 वीं शताब्दी में यूरोप में कपाट-संधि गुणन प्रक्रिया गिलोसिया ( Gelosia) के नाम से काफी प्रसिद्ध हुआ जिसका इटली भाषा में अर्थ धातु की जाली होता है।

 

कपाट-संधी :

कपाट का शाब्दिक अर्थ दरवाज़ा या किवाड़ (gate) होता है जिस प्रकार दरवाज़ा के दो भाग होते हैं उसी प्रकार एक वर्ग को विकर्ण द्वारा विभाजित कर कपाट-संधी बनता है तथा इसका गणितीय प्रयोग सर्वप्रथम श्रीधराचार्य ने गुणन प्रक्रिया को समझने के लिए किया है।
यह प्राचीन विधि कपाट संधी के द्वारा गुणन  Multiplication by Kapata Sandhi  Method Gelosia  अत्यंत रोचक (entertaining) तथा आसानी (easy) से समझ में आने वाला है इस विधि के अनुसार जिन दो संख्याओं को आपस में गुणा करना है उसके लिए गुणक (multiple) तथा गुणज (multiplier) में प्रयुक्त अंकों की संख्या के गुणनफल (product) के बराबर वर्ग (square) का निर्माण इस तरह करना है कि उसमें क्षैतिज (horizontal) वर्गों की संख्या गुणक (multiple) के अंकों की संख्या के बराबर हो तथा ऊर्ध्व (vertical) वर्गौं की संख्या गुणज (multiplier) में प्रयुक्त अंकों की संख्या के बराबर हो तथा गुणक को प्रत्येक वर्ग के उपर बाहर से क्षैतिज तथा गुणज दांये (right hand) से ऊर्ध्व रुप में एक एक अंक अंकित करें तथा प्रत्येक वर्ग में विकर्ण (diagonal) की रेखा खींच कर वर्ग को दो भागों में विभाजित (divide) करें तथा विकर्ण (diagonal) द्वारा विभाजित दोनों भाग को गुणक (multiple) तथा गुणज (multiplier) के गुणनफल (product) से प्राप्त अंको को इस प्रकार लिखें कि गुणनफल का ईकाई अंक (unit digit) विकर्ण (diagonal) के दांये भाग (right part) में तथा दहाई अंक (tens digit) विकर्ण (diagonal) के बांये भाग (left part) में लिखें यदि गुणक तथा गुणज के गुणनफल में एक ही अंक प्राप्त हो तो वर्ग के विकर्ण के बांये तरफ शून्य (zero) तथा दांये तरफ प्राप्त अंक को लिखें । इस तरह प्रत्येक वर्ग को पूर्ण करें। अंत में सभी प्राप्त फलों को विकर्ण के सहारे योग करते हुए उत्तर को वर्ग के नीचे दायें तरफ़ से लिखना प्रारंभ करें तथा वर्ग के बांये तरफ़ शीर्ष (vertex) तक जायें।
उदाहरण के तौर पर दो संख्याएँ 693  तथा 82 को लेते हैं जिसमें गुणक (multiple) संख्या 693 में तीन अंक है तथा गुणज (multiplier) 82 में 2 अंक है अतः हमें 3 × 2 = 6 ऐसे वर्ग का निर्माण करना चाहिए जिसमें क्षैतिज (horizontal) रुप से 3 तथा ऊर्ध्व (vertical) रुप से 2 वर्ग हो, दांये तथा नीचे से प्रत्येक वर्ग में चित्रानुसार विकर्ण (diagonal) d¹, d², d³, d⁴ का निर्माण किया जाना चाहिए अब प्रत्येक अंकों को बारी बारी से गुणा करते हुए इस प्रकार लिखिए —

दांये से सर्वप्रथम उपर वाले पंक्ति (row) के वर्गों में उपरोक्त निर्देशानुसार लिखना चाहिये —
3 × 8 = 2 4 विकर्ण के दांये भाग में 4 तथा बांये भाग में 2
9 × 8 = 7 2 विकर्ण के दांये भाग में 2 तथा बांये भाग में 7
6 × 8 = 4 8 विकर्ण के दांये भाग में 8 तथा बांये भाग में 4

तत्पश्चात दुसरी पंक्ति में
3 × 2 = 0 6 विकर्ण के दांये भाग में 6 तथा बांये भाग में 0
9 × 2 = 1 8 विकर्ण के दांये भाग में 8 तथा बांये भाग में 1
6 × 2 = 1 2 विकर्ण के दांये भाग में 2 तथा बांये भाग में 1

d¹ के दांये तरफ़ का अंक 6 उत्तर का इकाई अंक (ones place) है, d² तथा d¹ के बीच के अंकों का योग (4 + 0 + 8 = 12) अतः उतर के दहाई अंक (tens place)  पर 2 तथा 1 को सैकड़ा (hundreds place) के स्थान के साथ योग करेंगे, d³ तथा d² के बीच के अंकों का योग ( 2 + 2 + 1 + 2 + 1 = 8) अतः उत्तर के सैकड़ा (hundreds place) के स्थान पर 8 होगा, d⁴ तथा d³ के बीच के अंकों का योग (7 + 8 + 1 = 16) अतः उत्तर के हजारवें स्थान (thousands place) पर 6 तथा 1 दस हजारवें (ten thousands place) स्थान पर योग करेंगे तथा d⁴ के बांये तरफ के अंकों का योग (4 + 1 = 5) अतः उत्तर के दस हजारवें (ten thousands place) स्थान पर 5 होगा।

अतः 6 9 3 × 8 2 = 5 6 8 2 6

उदाहरण (2)
135 × 12 = 1620
उदाहरण (3)
7695 × 543 = 4178385

अभ्यास
(1) 257 × 23
(2) 3648 × 476
(3) 7867 × 4268
(4) 5.35 × 2.4
(5) 47.26 × 1.45
(6) 7.824 × 2.67
(7) 8.957 × 25.4
(8) 45.25 × 78.56
(9) 0.0265 × 0.25
(10) 0.758 × 0.005

Multiplication by Kapata Sandhi Method Gelosia (कपाट संधी के द्वारा गुणन)

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