Education Implications of Vedic Maths

Education Implications of Vedic Maths (
वैदिक गणित की शिक्षा में उलझनें )

भारत की विविधता, जहाँ इसकी विशेषता है वहीं कुछ उलझनें भी हैं। भारत में वैदिक गणित की शिक्षा में
उलझनें भी इसी विविधता से सम्बंधित है।
(1) स्पष्ट दृष्टिकोण का अभाव
विविध विचार, विविध भाषा, विविध मत, विविध पंथ तथा विविध भौगोलिक स्थिति से युक्त भारत में
वैदिक गणित विषय को लेकर अनेक भ्रांतियां व्याप्त है। इसके पिछे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप अनेक कारण
विद्यमान है परन्तु इसका समाधान बस यही है कि सामाजिक चेतना जागृत की जाए।
(2) शैक्षिक संस्थानों की उदासीनता :
भारत तथा वैश्विक पटल पर सरकारी तथा गैरसरकारी शैक्षिक संगठनों जैसे सी. बी, एस. सी., आई. सी.
एस. सी., राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय, यू. जी. सी. इत्यादि में वैदिक गणित को लेकर उदासीनता स्पष्ट तौर पर
देखा जा सकता है इसके लिए भी अंदरूनी तथा बाह्य कारण जिम्मेवार है।
(3) भाषा ज्ञान का अभाव :
भारत एक बहुभाषी प्रदेश है जहाँ देशी, विदेशी तथा क्षेत्रीय लगभग हजारों भाषाएं बोली जाती है। वैदिक
गणित विषय की प्रारंभिक जानकारी तो अंग्रेजी में भी उपलब्ध है परन्तु इसके विशिष्ट ज्ञान की जानकारी के
श्रोत ज्यादातर हिन्दी अथवा संस्कृत में ही उपलब्ध है। हिन्दी और संस्कृत का राजनीतिक उदासीनता के
कारण विज्ञान की भाषा न रह कर किस्से कहानियों तथा कर्मकांड की भाषा बन कर रह गई है।
(4) आधुनिक गणित से प्रतियोगिता :
वैदिक गणित की प्रमुख उलझनों में एक उलझन यह है कि जब भी इसकी तथा इस के सूत्रों की बात होती है
लोग इसे आधुनिक गणित के साथ तुलना करना शुरू कर देते हैं। अब वर्तमान में समस्या यह है कि आधुनिक
गणित जोकि अस्पष्टता तथा विकल्प के अभाव के कारण विषय का बाजारीकरण कर दिया है तथा पूरे समाज
में गणित का हऊआ (आतंक) खड़ा कर दिया है वहीं दूसरी तरफ वैदिक गणित स्पष्ट एवं बहुविकल्पीय होने के
कारण निरंतर समाज में अपनी पहचान स्थापित कर रहा है।
(5) शिक्षक शिक्षा का अभाव :
वैदिक गणित की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वैदिक गणित के शिक्षकों में विषय के उपयुक्त ज्ञान का अभाव
तथा विषय को लेकर उत्सुकता नहीं उत्पन्न हो पा रही है कारण कई हो सकते हैं परन्तु सबसे महत्वपूर्ण
कारण यह है कि वैदिक गणित को विषयानुरुप प्रतिष्ठा नहीं मिल पाई है इसके कारण विषय पर कार्य करने
की रुचि में अभी कमी है।
(6) वैदिक गणित विषय तथा रोजगार में समन्वय का अभाव :
किसी भी विषय को आगे बढ़ाने का मूल कारण यह है कि विषय को रोजगार से जोड़ दिया जाए। सरकारी
तथा गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा वैदिक गणित तथा इससे संबंधित क्रिया-कलापों को यदि रोजगार से जोड़
दिया जाय तो विषय के आगे बढ़ने में उत्प्रेरक का कार्य करेगा।
(7) आर्थिक सहायता का अभाव :

किसी भी विषय को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक आवश्यकता बहुत ही आवश्यक है। देश-प्रदेश में कार्य कर रहे
कुछ वैदिक गणित प्रेमी कई बार आर्थिक कमी के कारण विषय के विकास में उतना योगदान नहीं दे पाते
जीतनी उनकी क्षमता है। आर्थिक अभाव के कारण कई वैदिक गणित प्रेमी के प्रतिभा का पूर्ण उपयोग नही हो
पाता है जोकि वैदिक गणित के विकास के लिए बाधक है।
(8) राजनीतिक उपेक्षा :
विविधताओं से भरे देश भारत में विभिन्न भाषाओं, क्षेत्रों, समुदायों, धर्मों, संप्रदायों, विचारों इत्यादि पर
आधारित सैकड़ों राजनीतिक दलों के होते हुए भी वैदिक गणित के साथ सौतेला व्यवहार होता रहा जिसके
कारण यह विषय ही अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल हो गया, राजनीतिक स्वार्थ, तुष्टिकरण तथा वोट बैंक के
होड़ में वैदिक गणित को अनदेखा कर दिया गया। कुछ प्रदेशों में कुछ एक राजनीतिक दलों द्वारा वैदिक
गणित को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया गया परन्तु सामाजिक सहयोग, शिक्षक शिक्षा का अभाव, आर्थिक
सहायता का अभाव, उद्यम की कमी, आधुनिक दृष्टिकोण का अभाव इत्यादि अनेक कारणों की फलस्वरूप
अभिष्ट उपलब्धि प्राप्त नहीं हो स्की।
समाधान :
ध्येय वाक्य "देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा" के अंतर्गत शिक्षा बचाव आंदोलन के प्रेरणास्रोत
आदरणीय दीनानाथ बत्रा जी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के वर्तमान राष्ट्रीय सचिव माननीय अतुल
भाई कोठारी जी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के वैदिक गणित विषय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ कैलाश
विश्वकर्मा जी (उत्तर प्रदेश) , शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दिल्ली प्रांत सह-संयोजक अनिल कुमार
ठाकुर(दिल्ली) , श्री राम चौथाई वाले, श्री राकेश भाटिया (हरियाणा), श्री सीतारामा राव (तेलंगाना), श्री
बच्चु भाई रावल (गुजरात), प्रो. दिलिप ग्वेटांडिकर (नासिक), पी. देवराज (केरला), माया जी (नागपुर)
इत्यादि अनेक विभुतियो के अथक प्रयास के फलस्वरूप वैदिक गणित तथा संबंधित विषयों पर विद्यालयों ,
महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में लगभग हजारों कार्यशालाओं का आयोजन कर वैदिक गणित को पुनः
प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया जा रहा है।

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