Multiplication by Roop Vibhag Sthan Vibhag

गुणन रुप विभाग, स्थान विभाग Multiplication by Roop Vibhag Sthan Vibhag प्राचीन भारतीय गणितज्ञ नारायण पंडित द्वारा रचित ग्रंथ "गणित कौमुदी" में गुणन करने की कई विधियों का वर्णन है :- (1) कपाट-संधी (2) तस्थ (3) रुप विभाग (4) स्थान विभाग उदाहरण पञ्चामहीधरनयनप्रमिता धृतिमगुणाः कति ते स्युः। रूपस्थानविभागखण्डे विगुणजं तथाऽपवर्तनजम्।। अर्थात् :- पञ्च = 5 … Read more

Divisibility by Osculator

Divisibility by Osculator विभाजनीयता (Divisibility) संख्या सिद्धांत के आधार पर कोइ पूर्णांक संख्या किसी अन्य पूर्णांक संख्या  से पूर्णतः विभाजित होती है; तो पहली पूर्णांक संख्या दूसरी पूर्णांक संख्या से विभाज्य कही जायेगी। वैदिक गणित के आधार पर 2, 3, 4, 5, 6, 8 तथा 10 के विभाजनीयता की जाँच वैदिक गणित के बारहवां उपसूत्र … Read more

Glorious Application of Vedic Ganit

वैदिक गणित का भव्य अनुप्रयोग (Glorious Application of Vedic Ganit) साधारण भिन्न को उसके समतुल्य दाशमलविक रुप में प्रकट करना। एक ऐसा भिन्न लेना है जैसे 1/19 जिसके हर का अन्तिम अंक 9 है। यदि हम 1 /19 को दशमलव भिन्न में बदलने की प्रक्रिया शुरू करें तो सामान्य अथवा प्रचलित विधि के अनुसार 1 … Read more

Education Implications of Vedic Maths

Education Implications of Vedic Maths ( वैदिक गणित की शिक्षा में उलझनें ) भारत की विविधता, जहाँ इसकी विशेषता है वहीं कुछ उलझनें भी हैं। भारत में वैदिक गणित की शिक्षा में उलझनें भी इसी विविधता से सम्बंधित है। (1) स्पष्ट दृष्टिकोण का अभाव विविध विचार, विविध भाषा, विविध मत, विविध पंथ तथा विविध भौगोलिक स्थिति से … Read more

error: Content is protected !!