What is Vedic Maths

What is Vedic Maths (वैदिक गणित क्या है)

आज वर्तमान समय में प्रत्येक वैदिक गणित प्रेमियों तथा जिज्ञासुओं के मन में यह प्रश्न आता है कि वैदिक गणित क्या है? (What is Vedic Maths?) इस प्रश्न का उत्तर सामान्य रुप में हम यह दे सकते हैं कि वैदिक गणित आज के गणित को हल करने के लिए कई वैकल्पिक विधियों का समावेश आधुनिक गणित के साथ करता है तथा यह परिस्थितियों के अनुसार वर्तमान गणित को हल करने के अनेक वैकल्पिक विधियों को आधुनिक गणित के साथ जोड़ता है जो आज के गणित की नीरसता, उबाऊपन तथा कठिन विधियों को सरल तथा रोचक बनाता है उदाहरण के लिए आधुनिक गणित में गुणन करने के एक ही प्रचलित विधि का वर्णन है जिसे गोमूत्रिका विधि के नाम से जाना जाता है जबकि वैदिक गणित में उसी गुणन प्रक्रिया को करने के लिए विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार 20 से 25 विधियों का वर्णन है। उसी प्रकार भाग करने की छः विधियों का वर्णन है। ये सभी विधियाँ गुणन तथा विभाजन के उत्तर मौखिक रूप से देने में सक्षम है। अतः वैदिक गणित को समावेशी गणित भी कह सकते हैं।
कुछ वैदिक गणित प्रेमी वैदिक गणित को मानते तो हैं परन्तु किसी किसी अज्ञात कारणों से यह प्रश्न उठाते हैं कि वैदिक गणित वेदों में होने का प्रमाण क्या है? ब्रम्हांड के सभी लिखित अलिखित ज्ञान विज्ञान का प्राचीनतम श्रोत वेद के बहुआयामी ऋचाएं ही है परन्तु कई बार हम उसके गणितीय आशय को समझने में असफल हो जाते हैं
एक श्लोक प्राचीन काल से प्रचलित है।

यथा शिखा मयूराणां नागानां मणयो यथा।
तद्वद् वेदांगशास्त्राणां गणितं मूर्धनि स्थितम्‌।।
याजुष ज्योतिषम

अर्थात्‌ जैसे मोरों में शिखा और नागों में मणि सबसे ऊपर रहती है, उसी प्रकार वेदांग और शास्त्रों में गणित सर्वोच्च स्थान पर स्थित है।
उपरोक्त श्लोक गणित की महानता तथा वेद वेदाङ्ग, उपनिषद् पुराण में सर्वव्यापकता को प्रदर्शित करता है।
यूं तो संपूर्ण चर अचर ब्रह्मांड गणित से ही प्रेरित होता है अतः गणित शुद्ध रुप से वैदिक के सिवाय और कुछ हो भी नहीं सकता।
गोवर्धन पीठ, पूरी के 143 वें शंकराचार्य जगत गुरु स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज का जन्म 14 मार्च 1884 (चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में तृतीय तिथि विक्रम संवत १८२६) को हुआ था। बचपन में वेंकट रमण नाम से प्रसिद्ध आप अत्यंत विलक्षण प्रतिभाशाली छात्र जो कि हमेशा प्रत्येक कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करते रहे। आप संस्कृत भाषा में भी इतनी गूढ़ पकड़ रखते थे कि मद्रास संस्कृत संगठन ने जुलाई, 1899 ई. में आपको “सरस्वती” सम्मान से सम्मानित किया तब आप मात्र 16 वर्ष के थे। इनके द्वारा रचित वैदिक गणित उनके सतत साधना तथा गणितीय ज्ञान के चरम पर पहुंचने का प्रतिफल है, आपने इस गणितीय पद्धति को “वैदिक गणित” का नाम दिया। वैदिक गणित कि सुन्दरता उसके प्रयोग में है जो कम समय में प्रश्नों के सीधे उत्तर तक पहुंचा देता है जो पारंपरिक गणितशास्त्र के मुकाबले काफी सरल तथा रोचक है। वैदिक गणित हमारे दिमाग के दोनों पक्ष बांया तथा दांया पक्ष (तार्किकता तथा सृजनात्मकता क्रमशः) का समान रूप से विकास करता है जो हमें समाज में बहुमुखी प्रतिभावान बनाता है। वैदिक गणित हमारे लिए असीमित गणितीय ज्ञान को आनंददायक तथा सृजनात्मक बना देता है।  इनके सोलह सूत्र तथा तेरह उपसूत्र अकाट्य, सार्वभौमिक तथा सारगर्भित है। इन सूत्रों का प्रयोग अंकगणित (Arithmetic), बीजगणित (Algebra) , रेखा गणित (Geometry) , अवकलन (Calculus) , संगणक(Computer) इत्यादि के अलावा अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम (Space Science Program)  में भी इसका अनुप्रयोग होता है इस प्रकार के बहुउपयोगी वैदिक गणित को यदि वैदिक कहने में संकोच हो तो ये तो स्पष्ट है कि इसमें कुछ भी अवैदिक नहीं है।

What is Vedic Maths (वैदिक गणित क्या है)

 

http://www.manasganit.com/Post/details/59-what-is-vedic-maths

 

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